आँवला प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ शक्तिदायक फल है। यह विटामिन 'सी' से भरपूर रहता है। आँवला त्रिफला चूर्ण का मुख्य घटक तो है ही, इसी से च्यवनप्राश भी बनाया जाता है। कई रोगों में यह अमृत के समान लाभकारी है। आइये, इसके औषधीय गुण जानें
एक चम्मच आँवले के रस में थोड़ा शहद अच्छी तरह मिलाकर प्रातः सायं अंगुली से धीरे-धीरे चाटें। इससे पित्तशूल, पेट की ऐंठन व दर्द ठीक हो जाते हैं। पेट के कीड़े भी मल के साथ बाहर निकल जाते हैं
एक चम्मच आंवले का रस थोड़े से घी में मिलाकर चाटने या मुँह में डालने से मूर्छा (बेहोशी) दूर हो जाती है।
आँवले को कुचलकर उसके आधे चम्मच रस में 3 ग्राम पीपल का चूर्ण एवं दो चम्मच शहद मिलाकर कुछ दिन सेवन करते रहने से छाती में जमा कफ दूर होकर खांसी ठीक हो जाती हैइससे श्वास रोग (दमा) भी ठीक होता हैं ।
उक्त रक्तचाप वाले व्यक्ति प्रातः खाली पेट दो आँवले का मुरब्बा प्रतिदिन खायें तो उनका रक्तचाप सामान्य हो जाता है। इससे स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
प्रतिदिन प्रातः सायं दो-दो चम्मच आंवले का चूर्ण बराबर पिसी मिश्री के साथ ताजे जल से लेने से मूत्राशय की पथरी मूत्र के साथ निकल जाती है। इससे अजीर्ण, भूख न लगना, जी-मिचलाना, भोजन नहीं पचना आदि समस्याएं ठीक होती हैं। लम्बे समय तक सेवन करते रहने पर 'सफेद दाग' भी ठीक हो जाते हैं।
हकलाने या तुतलाकर बोलने वाले व्यक्ति को आँवले का टुकडा मंह में रखकर चूसना चाहिए। इससे हकलाना तुतलाना दूर होता है।
कटी जगह पर आँवले के रस लगाने से खून बहना बंद हो जाता है।
थोड़ी हल्दी के साथ आँवले का दो चम्मच रस प्रतिदिन लेने से प्रमेह रोग ठीक हो जाता है।