अनेक प्रकार के योगासनों के करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है

                                                                    भुजंगासन


विधि- पेट के बल लेट जाय तथा अपने ललाट को जमीन से सटा दे। दोनों पेरों को मिलाकर उनके तलवों का ऊपर की ओर कर दे। अब दोनों काहानया को मोड़कर हथेलियों को कधों के पास जमीन से लगा दें तथा सास लेते हुए धीरे-धीरे अपना सिर ऊपर उठाए। कन्धे व वक्षस्थल को ऊपर का ओर उठाए। नाभि का भाग जमीन से लगा हुआ रखें।


सावधानिया- पेट में घाय. हार्निया अण्डकोष वृद्धि तथा कड़े मेरूदेण्ड से पीडित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।


                                                                   हलासन


विधि- दोनों पैरों को आपस में सटाकर जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं तथा दोनों हथेलियों को जमीन से चिपका दें। अब दोनों पैरों को मिलाकर ऊपर की ओर उठाएं तथा क्रमश: 30 अंश, 60 अंश तथा 90 अंश का कोण बनाकर प्रत्येक कोण का कुछ क्षण ठहरें। अब हाथों पर दबाव रखते हुए पेरों को सिर के पीछे की ओर ले जाएं। कुछ समय तक इसी स्थिति में रहे तथा पुनः धीरे-धीरे पूर्ववत् में आए जाएं। इसके योगासनों आसन को 10 सेकेण्ड से 5 मिनट तक किया जा सकता है।


सावधानिया-गर्दन में दर्द, कमर दर्द, उच्च रक्तचाप, हदय रोग, दमा, हानिया से पीड़ित होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।


                                                                    मत्स्यासन


विधि- दोनों पैरों को मिलाकर सीधे फैलाकर बैठ जायें पैरों को घुटने से मोड़ कर पंजे को दाएं पैर की जघा पर इस प्रकार रखे कि तलवा ऊपर की ओर रहे। इसी प्रकार दाएं पैर को बाएं पैर पर रख लें। अब दोनों हाथों को हथेलियां नितम्ब के पास जमीन से लगाकर दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए पीछे की ओर लेट जाएं। सिर को जमीन से लगा दें तथा सीने को ऊपर रखें तथा कोहनियां जमीन से सटाकर दोनों पैरों के अंगूठे पकड़ लें।


                                                                   सुप्त पवनमुक्तासन


विधि- पीठ के बल लेट कर हाथों को बगल से सटाते हुए जमीन से लगा दें। अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पेट की ओर ले जाएं तथा उन्हें सीने से चिपका दें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में उलझा के पैरों को कसकर पकड़ लें तथासिर को पटनों से लगा है। का समय इसी स्थिति में रहने के पश्चात् पूर्ववत स्थिति में जाएं।


                                                                 गोमुखासन


विधि- चटाई पर बैठकर बाएं पैर को घुटनों से मोडकर दाएं पैर के नीचे निकालते हुए एडी को नितम्ब के पास चिपका दें। अब दाएं पैर को बाएं पैर पर रखकर एडी को नितम्ब के पास लगा दें। अब बाएं हाथ की कोहनी को मोड कर पीठ के पीछे ले जायें तथा दाएं हाथ की कोहनी को सिर के पास रखते हए दोनों हाथों की उंगलियों को हक के समान आपस में फसा लें। सिर व रीढ़ को सीधा रखें। सीने को आगे तानकर रखें। कुछ समय इस स्थिति में रहकर पैरों की स्थिति बदल दें।


                                                                 कपालभाति


विधि- दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं। बाएं हाथ की मुट्ठी बांधकर दाएं हाथ से बाएं हाथ की कलाई पकड़कर पीछे करें। अब कमर को १० अंश के कोण पर आगे की ओर झुकाएं तथा सिर को क्रमशः ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं घुमाएं तथा इस दौरान नाक से तीव्र वेग से श्वास को बाहर निकालें।


                                                                    चक्रासन


विधि- सर्वप्रथम पीठ के बल सीधा प्रकारलेटे कि दोनों पैरों में हेड फोट का फासला रहे। अब दोनों हायों को कोहनियों से मोडकर हथेलियों को कंधे के पास जमीन से इस प्रकार लगाएं कि उंगलियों का रूख पैरों की ओर रहे। अब दोनों हाथों व पैरों पर जोर लगाते हुए पेट को ऊपर उठाएं। कुछ समय तक इस स्थिति में रुकने के बाद पूर्व स्थिति में आ जाए।


सावधानियाँ- हृदयरोग, उच्चरक्तचॉप, हार्निया से पीडित व्यक्ति इस आसन को न करें।


                                                                 अर्ध मत्स्येन्द्रासन


विधि- जमीन पर बैठकर दाएं पैर को घुटने से मोड़कर खड़ा करते हुए बाएं पैर के घुटने के बाहर की ओर पैर का तलवा जमीन पर रखें। बाएं पैर को मोड़कर उसकी एडी को सीवनी से लगा दें। अव धड़ को दाई ओर मोड़ बाएं हाथ से दाएं पांव को पकड़ लें और दाएं हाथ को कमर के पीछे ले जाएं। इस स्थिति में कुछ समय रहने के पश्चात् पुनः पूर्ववत स्थिति में आ जाएं। इसके पश्चात् यही आसन हाथ पैर बदलकर विपरीत दिशा में करें।


                                                                       ताड़ासन


विधि- दोनों पैरों को पंजों को मिलाकर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाये। इसके पश्चात् सामने करके उन्हें धीरे-धीरे ऊपर उठायें तथा कान के बराबर ले जायें। अब एडियों को उठा कर पंजे के बल खड़े हो जायें तथा समस्त शरीर को ऊपर उठा लें। दोनों हाथों को ज्यादा उठा लें। इस स्थिति में कुछ समय करने के पश्चात् पुनः पूर्ववत् स्थिति में आ जायें।


                                                                      जानुशीपार्सन


विधि- दोनों पैरों को मिलाते हुएसीधा करके बैठ जाएं। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर पंजा हाथ से पकड़ कर जमीन पर इस त्यात म रखें कि तलवा दाएं पैर की जंघा से चिपक जाएं। अब दाए हाय का कमर के पीछे लपेट तथा वाए डाय को ऊपर उठाकर रखें अब कमर । वाले भाग को धारधार आग झुकाते हुए बाएं हाय का पहला व उंगलियों एवं अंगूठ से दाए पर का। अंगठा पकड़ ले तथा सिर का दाए। पैर के घटने से लगाई तथा बाए। , हाथ की कोहनी भी जमीन से लगा। दे। इस स्थिति में कुछ समय रहने। के पश्चात् पुनः पूर्ववत् स्थिति में आ जाएं। 


सावधानियाँ- यदि कमर दर्द हो तो हुए इस आसन को न करें।


                                                                   उत्तानपादासन 


विधि- दोनों पैरों मिलाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब दोनों हथेलियों को शरीर से सटाकर जमीन से चिपका दें। अपने दोनों पैरों को धीरेधीरे उठाना प्रारम्भ करें। पहले पैर को कुछ समय तक 80 अंश के कोण पर रोकें, फिर 45 अंश कोण पर तथा इसके पश्चात् 60 अंश के कोण पर रोक। श्वास पार-बार लाख समय पश्चात् पूर्ववत् क्रम में पैरों की नीचे ले जाए।


सावधानियाँ- आसन करते समय घुटनों को न मोडे, कमर दर्द से पीडित व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।


                                                                  शलभासन 


विधि- सर्वप्रथम पेट के बल लेट जायें तथा दोनों पैरों को मिलाकर सीधा करें। हाथों को शरीर से सटा ले व उनकी मुठियों बंद रखें। अब दोनों पैरों को घटनों से सीधा रखते हुए ऊपर की ओर उठाएं। अतिम स्थिति में कुछ समय रूकने के पश्चात् पैरों को पुनः धीरे-2 नीचे ले जाएं।