अपने शरीर पर अपनाएं कुछ जादुई नुस्खे

* प्रतिदिन सुबह पाँच मिनट तक इस प्रकार से ताली बजाएँ कि अंगुलियाँ आपस में न टकराएँ। इससे आँखों की रोशनी बढ़ेगी तथा चश्में के बढ़े हुये नम्बरों में कमी आयेगी।


* सुबह उठते ही अपना मुँह पूर्व या उत्तर दिशा में करके दोनों हाथों की हथेलियों को जोर-जोर से रगड़कर अपनी आँखों, मुँह, सोने, कोहनी व घुटने पर रखें। इससे आँखों की ज्योति बढ़ेगी तथा जोड़ों का दर्द नहीं रहेगा।


* सुबह बिना कुल्ला किये पानी पीकर शौच जाने से पेट संबंधी सभी रोगों से राहत मिलेगी।


* स्नान करते समय मुँह में पानी भरकर स्नान करें व बदन पोछने के बाद पानी निकाल दें। इससे सर्दियों में कभी जुकाम नहीं होगा।


* स्नान करने के बाद पैर के अंगूठे व अंगुली के बीच तेल लगाने से याददाश्त रहती है।


* चने की दाल रात में भिगोकर रखे दें। प्रातःकाल इसको शुद्ध शहद के साथ खाने से गुर्दे अथवा मूत्राशय की पथरी खत्म हो जाती है।


* मूली के बीज साफ पानी में (एक गिलास) पका लें। पकते समय जब पानी आधा गिलास रह जाए तो इसे ठंडा करके लगातार एक महीना सेवन करें। पथरी गलकर बाहर निकल जायेगी।


*स्नान करने के बाद लकड़ी के पट्टे पर पूर्व दिशा में मुँह करके बैठे और आँख बंदकर लम्बे स्वर में “ओ३म" शब्द का उच्चारण करें। इसी मुद्रा में दोनों हाथों की अनामिका अंगुलियों को कानों में डालें। इससे मस्तिष्क में गुंजन महसूस होगी और याददाश्त प्रबल होगी।


* भोजन हमेशा पूर्व या उत्तार दिशा में लकड़ी के पट्टे पर बैठकर करें। भोजन को भी पट्टे पर रखें इससे पाचन संबंधी रोग दूर होंगे।


* पानी हमेशा बैठकर व दूध खड़े होकर पीने से घुटने में दर्द नहीं होगा।


* रात को ताँबे के बर्तन में तुलसी के दो-तीन पत्ते मसलकर डाल दें और उसमें पानी भर दें। सुबह शौच जाने से पूर्व उस पानी को पीएँ, इससे कब्ज में काफी राहत मिलेगी।


*शौच जाते समय मुँह बंद रखें व नाक से श्वास लें। दांतों को भीचकर बैठें। ऐसा करने से दांतों से संबंधित रोग नहीं होंगे तथा आजीवन दांत नहीं गिरेंगे।