चाय सीमित मात्रा में ही पिये

चाय का प्रचलन पिछले कुछ सालों में छा सा गया है। बड़े शहरों में तो लोगों को बिस्तर से उठते ही चाय की आवश्यकता महसूस होती है। कुछ लोग तो बिस्तर से बिना कुल्ला किए चाय पीना गौरव समझते हैं, कुछ लोग उठकर हाथ, मुँह, दाँत साफ कर चाय पीना पसंद करते हैं तो कुछ नाश्ते के साथ। सबका चाय पीने का अपना अपना अंदाज है।


पौष्टिकता के आधार पर चाय पौष्टिक पेय में नहीं आती। यह शरीर को उत्तेजित करती है जिससे कुछ देर के लिए शरीर की थकान और शरीर के किसी अंग में हो रहे दर्द से राहत मिलती है। चाय को अपने जीवन का मुख्य पेय न बनाएँ। स्वाद हेतु दिनमें दो प्याले चाय सेहत को अधिक नुकसान नहीं पहुँचाती।


चाय खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी चाय खुली न खरीदें। बंद पैकेट में अच्छी कम्पनी की चाय ही खरीदें। बंद पैकटे में मिलावट की संभावना कम होती है और चाय की खुशबू भी ठीक बनी रहती है। सीमित मात्रा में चाय पीने से अधिक नुकसान तो नहीं है फिर भी चाय पीते समय कुछ सावधानियाँ अवश्य बरतनी चाहिए। में ही पिये अधिक चाय नींद भगाती है इसलिए चाय का अधिक सेवन अनिंद्रा को बुलावा हैचाय नेत्रों की चमक पर भी बुरा प्रभाव डालती है। 


चाय का सेवन खाली पेट न करें क्योंकि चाय लीवर पर कुप्रभाव डालती है। बहुत बारीक चाय की पत्ती का सेवन कड़क तो अवश्य लगता है परंतु अच्छे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। मोटी चाय की पत्ती का ही प्रयोग करें।


चाय के स्वाद को कड़क बनाने हेतु अधिक मत उबालें। पत्ती की मात्रा भी अधिक प्रयोग में न लायें। कड़क चाय शरीर के लिए हानिकारक होती है।


चाय में टेनिन नामक एक अम्ल होता है जो भूख कम करने में मदद करता है। उसके प्रभाव को चाय में दूध और चीनी डालकर कम किया जा सकता है। इसलिए दूध थोड़ा अधिक डालें। बार-बार चाय पीने से गला खुश्क होता है। ऐसे में कम पानी का सेवन करने वाले लोगों को पेशाब संबंधी रोग हो सकते हैं।


अधिक गर्म चाय से गले के ऊतक नष्ट होते हैं। बार-बार गर्म चाय पीने से गले को ठंडे पेय ग्रहण करने की सहन शक्ति भी कम हो सकती है। अधिक चाय से दिल की धड़कन बढ़ती है। कोशिश करें कि पूरे कप के स्थान पर आधा कप चाय पिएँ। चाय पीने से कुछ समय पहले पानी पिएँ।