ज्योतिष और न्याय तंत्र का रिश्ता उतना ही पुराना है जितना कि दण्ड प्रक्रिया का प्रचलन में आना, पहले जब राजा किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता था कि व्यक्ति अपराधी है कि नहीं तो वह अंग शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र की भी मदद लिया करते थे। सैकड़ों कहानियां इस प्रकार की हैं जो कि दर्शाती हैं कि ज्योतिष शास्त्र भी अपराधियों को पहचानने में मदद करता है। कुंती पुत्र नकुल द्वारा राजा युधिष्ठिर की मदद करने के अनेक किस्से महाभारत काल के हैं। राजा विक्रमादित्य के बारे में कहा जाता है कि वह स्वयं बहुत कुशल ज्योतिषी थे। जिनके नाम पर विक्रम संवत् आज भी प्रतिष्ठित है। आसाराम के बारे में ज्योतिष शास्त्र जन्मकुण्डली की जन्मकुण्डली को देखा जाये तो निम्न विश्लेषण आते हैं। उनके अपराधी होने या न होने के। आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941 को पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ तो उस समय वृषभ लग्न विद्यमान था। आसाराम के समस्त ग्रह पशुराशियों में हैं, मेष में सूर्य-शुक्र-शनि-गुरु, मीन में बुध-केतु, मकर में मंगल, धनु में चंद्रमा, द्वादश स्थान, सप्तम स्थान, अष्टम स्थान भोग, सेक्स के स्थान हैं। इन तीनों स्थान पर पशु, राशियों में ग्रह स्थिति बनती है। द्वादश स्थान में नीच के शनि के साथ शुक्र का अस्त होना व्यक्ति को व्यभिचारी बनाता है। पंचम स्थान पर राहु की स्थिति जातक को झूठा बनाती है।
कराड़लधुकथा भाग्य भाव के मंगल ने आसाराम को जहां सारे ऐश्वर्य दिलाये, शनि-गुरु की द्वादश युति ने जहां उन पर वेदान्ती होने का ठप्पा लगाया, इसी चतुग्रही युति . ने उन्हें विश्व विख्यात बनाया तथा जन्म स्थान से दूर लाकर भी प्रसिद्धि का सम्राट बनाया, उच्च के चतुर्यश ने उन्हें 10,000 करोड़ की सम्पत्ति का मालिक बनाया, राहु पंचम ने झूठी मान मर्यादा प्रदान की। वहीं पर इन्हीं ग्रहों की युतियां उनकी दुश्मन बन बैठी हैं। अष्टम चंद्रमा, सूर्य-शनि की द्वादश युति, मंगल-शनि का दृष्टि सम्बन्ध तथा द्वादश में शुक्र का अस्त होना उन्हें जेल तक खींच कर ले गया और वह यदि वच भी गये तो आने वाली शनि की महादशा उन्हें पग-पग पर वैचेन कर देगी। क्योंकि जनवरी 2014 से शनि की महादशा में भोग यही दशा जनवरी के बाद और ज्यादा परेशान करने वाली होगी।
चाहे आसाराम कितनी भी भागदौड़ अपने आपको बचाने के लिए करें परन्तु जन्मपत्र तो यही दर्शाता है कि वह अपराधी हैं और उन्होंने यौनाचार किया है। परन्तु ऐसा क्यों हुआ? हम सभी जिम्मेदार हैं। हम क्यों ऐसे बाबाओं के शरण में जाते हैं। जो खुद तो विदेशी गाड़ियों में घूमते हैं और शिष्यों को माया से दूर होने की सलाह देते हैं,
भोग भोगना पड़ेगा खुद तो स्त्रियों के साथ रहते हैं परन्तु भक्तों को एक कुटिया में रहने की सलाह देते हैं। खुद तो नाम, यश, सम्मान के लिए टी.वी., अखवारों का सहारा लेते हैं। भक्तों को प्रचार से दूर रहने की सलाह देते हैं। यही है पंचम राहु का कमाल यही है शनि-शुक्र की द्वादश युति का कमाल कहो कुछ, करो कुछ.