कैसा जीवनसाथी चाहते हैं आज के युवा?

युवा होते ही नवयुवक- नवयुवती सपनों में खोने लगते हैं। एक तो युवावस्था का जोश, दूसरा उनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा। हर नवयुवक-नवयुती की कामना रहती है कि उनका होने वाला जीवनसाथी सर्वगुण संपन्न हो, किंतु ऐसा हो पाना कतई संभव नहीं है। हर एक में कुछ-न-कुछ कभी जरूर होती है। अंग्रेजी में एक कहावत है कि आदमी अपूर्ण है। अगर वह 'पूर्ण' हो गया तो भगवान हो जाएगा।


               कैसा हो दूल्हा? .


लड़कियां ऐसा जीवनसाथी चाहती हैं जिस पर उसे गर्व हो, न कि शर्म। लडकियां लड़कों में रंग-रूप न देखकर उसके व्यक्तिक गुणों को देखती हैं जिससे आपसी समन्वय, तालमेल में दिक्कत न हो। लड़का देखने के पहले लड़की के परिजन लड़के वाले के खानदान, आमदनी, लड़के के रंगरूप, व्यवहार, बोलचाल के ढंग आदि को जरूर देखकर तुलना करते हैं कि लडकी से लडके का तालमेल बैठेगा या नहीं। सिर्फ अमीर घर देखकर लड़की का विवाह कर दियाजाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता है, क्यों कि कई अमीर घराने में भी लड़कियों का दहेज को लेकर सताने की बाते सामने आई हैं। लड़कियां कंजूस, मक्खीचूस तथा तंगदिल लड़कों को कतई पसंद नहीं करती हैं तथा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होना हर लड़की को पंसद आता है।


खुले विचारों वाले नवयुवकों को युवतियां पसंद करती हैं। कमाऊ युवक ही युवतियों को भाते हैं। पत्नी की कमाई पर अपना खर्चा चलाने वाले युवक युवतियों को पसन्द नहीं। लड़कियां उन लड़कों को सर्वाधिक पसंद करती है, जो नारी तथा उसकी अस्मिता का सम्मान करना जानते हैं। हसने-हंसाने वाले नवयुवकों को ही लड़कियां ज्यादा पसंद करती है। आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी, उत्तम भाव, आंखें आदि नवयुवकों के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाते हैं, जो लड़कियों को लुभाते हैं। लड़कियां ऐसे लड़कों को भी पसंद करती हैं, जो अवगणी न हो तथा किसी प्रकार के नशे की गिरफ्त में न हो तथा पत्नी को दासी के रूप में नहीं, बल्कि दोस्त के रूप में देखता हो।


                     कैसी हो दुल्हन?


लड़के अपनी जीवनसंगिनी के रूप में सुंदर, सुशील तथा आकर्षक देहष्टि वाली लड़की चाहते हैं। अधिकतर नौजवान आज के अंतरिक्ष-गुण में भी परंपरावादी लड़कियों को ही पसंद करते हैं। लड़के खुद भले ही लाख आधुनिक ढंग से रहते हों, पर वे अपनी गृह स्वामिनी परंपरागत भारतीय गरिमानुसार ही चाहते हैं। अधिकतर के जीवनसंगिनी के रूप में समाज की ही लड़की को पसंद करते हैं, क्योंकि समाज की लड़की होने से उनमें एक प्रकार का सुरक्षा-बोध होता है। दो परिवारों का मिलन तो होता ही है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी रिश्ते भी मजबूत होते जाते हैं। लड़का भले ही लाख आध निक हो, पर उसके मन के कोने में यह भाव भी रहा करता है कि मेरी होने वाली जीवनसंगिनी मुझसे कुछ कम उम्र की हो, छोटी हो व मुझसे थोड़ी दबकर भी रहे। बदलते समय के हिसाब से तो ऐसा हो पाना कठिन है, क्योंकि लड़कियों में भी जागृति आ गई है। वे अब पुरुषों के पैरों की जूती नहीं, बल्कि बराबरी की हकदार हैं। लड़ के अधिकतर ऐसी जीवनसंगिनी चाहते हैं, जो पति के साथ ही उसके माता-पिता की भी सेवा कर सके। वैसे संयुक्त परिवार तो अब लगभग नहीं के बराबर ही देखने को मिल रहे हैं। एकल परिवारों की बढ़ती संख्या के कारण अब सारे घरेलू काम नवदम्पति को करने पड़ते हैं। ऐसे में एकल परिवार की महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नवयुवक-नवयुवतियों को चाहिए कि वे एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना जीवन-यापन करें व छोटी-मोटी वातों को नजरअंदाज कर अपना पारिवारिक जीवन सुखी व संपन्न बनाएं। हंसमुख रहना और अपने आसपास मौजूद लोगों को भी प्रसन्नता में डुबोए रखना एक कला है। जीवनसाथी के रूप में भी ऐसे पुरुषों को महिलाएं प्राथमिकता देती है। गुमसुम, उदास खुद में गुम रहने के युवा? वाले पुरुष कम ही महिलाओं को पसंद आते हैं। बिलकुल सही है... रौनक की जिस बात ने मुझे सबसे पहले अट्रैक्ट किया था वो थी उनका मजाकिया स्वभाव।' कहती हैं परिधि। वे कहती हैं- हमारी पहली मुलाकात मेरी कजिन की शादी में हुई थी। वहां रौनक साहब दादी से लेकर मेरी दीदी तक का दिल अपने हंसमुख स्वभाव के कारण जीवन चुके थे। पूरे समय लोग उनको घेरे रहते थे, जैसे वो कोई सेलिब्रिटी हों। केवल हंसी-मजाक ही नहीं, शादी में एक बार जब किसी बात को लेकर माहोल घोडा मसाला तो रौनक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए इस तरह बात को माला कि सारा तनाव हवा हो गया। उनकी इसी क्वालिटी के कारण मैंने उनको पति के रूप में चना। बात एकदम सही है जो लोग और हसना-हंसाना जानते हैं, वे अक्सर समस्याओं से लड़ने के मामले में भी बेहद सकारात्मक रुख अपनाते हैं।