जीवन आहार में फलो का बहुत महत्व है। प्राचीनकाल से ही हमारे देश में भोजन के साथ फल खाने की परम्परा रही है। यह स्वास्थ्य तथा आरोग्यता की दृष्टि से श्रेष्ठ है। आधुनिक विशेषज्ञों ने भी फल के सेवन से शरीर को निरोग, स्वस्थ तथा बलशाली बना सकने की घोषणाएं की हैं। किसी भी बीमारी और बीमारी से उठने के बाद डाक्टर रोगी व्यक्तियों को फल खाने की सलाह देते हैं। पपीता ही एक ऐसा फल है, जिसे कच्चे व पके दोनों रूपों में खाया जाता है। यह पेट विशेष रूप से लीवर फंक्शन के लिए बहुत अच्छा आहार है।
पपीते में ऐस्कारिक अम्ल तथा विटामिन-डी प्रचुर मात्रा में होता है। पपीते से शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक विटामिन-डी देह की आवश्यकतानुसार आसानी से प्राप्त हो जाता है। पपीते की एक फांक पूरे दिन के लिए विटामिन-डी की आपकी आवश्यकता को पूरा कर सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने पपीते में विभिन्न तत्वों का विश्लेषण पाया है। इसमें जल 89.6 प्रतिशत, कार्बोज 9.5 प्रतिशत, प्रोटीन 0.5 प्रतिशत, खनिज 0.4 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत पाया जाता है।
जीवन के लिए सौ ग्राम पपीते से 56 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रकार पपीता शर्करा, टार्टरिक एसिड, साइट्रिक, मेलिक, ऐसिड तथा विटामिन ए, बी, सी तथा डी का अच्छा स्रोत है। इस फल में कई तरह के पाचक रस भी पाए जाते हैं, जिनमें पेप्सिन जो प्रोटीन्स को पचाने में सक्षम है, विशेष रूप से . उल्लेखनीय है। 100 ग्राम पपीते में 60 से 100 मिलीग्राम तक विटामिन-सी रहता है। विटामिन-सी की शरीर को विशेष रूप से आवश्यकता रहती है, क्योंकि यह अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है।
विटामिन-सी की कमी से मसूड़ों एवं दांतों से खून रिसने लगता है। पपीते से विटामिन-ए तथा डी मिलते हैं, जो आंखों तथा त्वचा के लिए अत्यंत लाभकारी है। हड्डियों को मजबूत करने वाला कैल्शियम रक्त को बढ़ाने वाला लौह तत्व भी इस फल में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को पपीत का सेवन अवश्य करना चाहिए।
पका पपीता विटामिन-ए से भरपूर होता है। आंखों के लिए विटामिन-ए बहुत आवश्यक है। पपीता अतः रतौंधी. अंधापन एवं आंखों की कमजारी में पपीते का प्रयोग लाभप्रद है। विटामिन-ए की कमी से कीटाणुओं का शरीर में शीघ्रता से संक्रमण होता जाता है। साथ ही श्वास रोग तपेदिक व निमोनिया भी हो सकता है। बवासीर के रोगियों को सुबह खाली पेट पपीता खाने से . अभूतपूर्व लाभ होता है। खाली पेट पपीता खाने से अजीर्ण और मंदाग्नि में शीघ्र लाभ होता है। शरीर में खून की कमी से बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को दूध की कमी हो जाती है, तो डाल का पका पपीता जरूरी पपीता रोजाना खाली पेट 15-20 दिन तक खाने से लाभ होता है। पका हुआ पपीता खाकर ऊपर से दूध पीने से स्तनों का सही विकास होता है और माताओं के दूध में बढ़ोत्तरी होती है। पपीते के बीज चूर्ण को तिल तेल में पका कर लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करने से लाभ होता है। कच्चे पपीते की सब्जी व रायता खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। कच्चे पपीते का रस दाद, खाज, खुजली पर लगाने से आराम मिलता है।