रत्न धारण करने से मनुष्य जीवन में परिवर्तन होता हैरत्नों का ग्रहों की राशियों से केवल गहरा सम्बन्ध ही नहीं है, अपितु यदि उनका सही ढंग से चुनाव किया जा सके तो वे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने में सक्षम होते हैं और विरोधी शक्तियों का डटकर सामना करने की शक्ति और जीवन ऊर्जा से भरपूर बनाने में सामर्थ्य देते हैं।
रत्न धारण से जो ग्रह शुभ स्थानों के स्वामी होकर अशुभ स्थानों में स्थित हो जाता है तो वह निर्बल हो जाता है तो इससे संबंधित रत्न धारण से ग्रह को शक्ति मिलती है और जो अशुभ स्थान का स्वामी हो, पाप ग्रहों की संगत में बैठा हो, उनसे देखा जाता हो या अन्य कारण से दूषित हो तो उससे सम्बन्धित रत्न पहनने का अर्थ होगा कि उसकी विघटनकारी, अमंगलकारी शक्ति को उत्प्रेरित करता है। इसके साथ जो शुभ ग्रह है और अन्य कारणों से भी शुभ है तो उसका रत्न पहनना निःसंदेह उपयोगी होगा, क्योंकि उसकी प्रखरता में वृद्धि होने से संभावित अवरोध भी दूर होंगे। सही रत्न का चुनाव कर शुभ मुहूर्त में अंगूठी बनवाकर व शुभ मुहूंत में सही उँगली में अंगूठी धारण करने पर ही रत्न लाभकारी होता है। रत्नों का ग्रहों की राशियों से केवल गहरा संबंध ही नहीं है, अपितु यदि उनका सही ढंग से चुनाव किया जा सके तो वे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने में सक्षम होते हैं। कई बार एक व्यक्ति दो या दो से अधिक रत्न धारण कर लेते हैं। आजकल तो पाँचों उँगलियों में और एक से अधिक रत्न एक ही उँगली में धारण कर लेते हैं। इससे रत्नों का फल निष्फल या विपरीत भी हो जाता है।
ज्योतिष शास्त्रानुसार दो या दो रत्नों को धारण करते समय अति सावधानी रखनी चाहिए। समान तत्व वाली राशियों के स्वामी के तथा मित्र ग्रहों के रत्नों को ही एकसाथ धारण करना चाहिए। शत्रु ग्रहों के रत्नों को धारण करना निषेध है। निम्नांकित सारिणी से भली-भाँति जानकारी मिल सकती है कि कौन-से रत्न एकसाथ धारण करना चाहिए एवं कौन-से रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
ग्रहों के लिए निर्धारित उँगलियों में ही रत्न धारण करना चाहिए तभी प्रभावशाली होता है। माणिक अनामिका में, मूंगा तर्जनी-अनामिका में, मोती तर्जनी-अनामिका, पन्ना-कनिष्ठा में, पुखराज-तर्जनी में, हीरा तर्जनी- अनामिका में, नीलम, गोमेद व लसुनिया मध्यमा में धारण करना चाहिए। तर्जनी गुरु की, मध्यमा शनि की, अनामिका सूर्य की तथा कनिष्ठा बुध की उँगलियाँ मानी गई हैं।
रत्न धारण का प्रभाव तभी होता है, जब 'कौन सा रत्न धारण करना' का सही निर्णय आवश्यक है। रत्न निर्दोष होना चाहिए। सही वजन का होना चाहिए। सही धातु में अंगूठी बनवाकरं शुभ मर्हत में सही उँगली में निषेध रत्नों के साथ न पहनने से ही लाभकारी होता है।
(1) मेष मंगल मूंगा पन्ना-हीरा (2) वृभष शुक्र हीरा मूंगा (3) मिथुन बुध पन्ना, मँगा-नीलम (4) कर्क चन्द्र मोती मूंगा (5) सिंह सूर्य माणिक नीलम-हीरा (6) कन्या बुध पन्ना-मँगा-नीलम (1) तला शक्र हीरा मूंगा (8) वृश्चिक मंगल मूंगा पन्ना-हीरा (9) धनु गुरु पुखराज हीरा-पन्ना (10) मकर शनि नीलम माणिक-पुखराज (11) कुंभ शनि नीलम माणिक-पुखराज (12) मीन गुरु पुखराज हीरा-पन्ना