'सेम' सब्जी ही नहीं दवा भी है

सेम कली तथा दूसरे सूखे दलहन की भांति होती है। इसमें प्रोटीन तथा कैल्शियम की मात्रा ज्यादा पाई जाती है साथ ही विटामिन ए प्रचुर मात्रा में एवं विटामिन सी न्यून मात्रा में मौजूद रहती है।


सेम स्वाद में मीठी होती है, पाचन होने पर खटास पैदा करती है। गैस पैदा करती है, बलवर्धक एवं उदर साफ करती है। लेकिन रूक्ष तथा गरिष्ठ होने के कारण उदर । में भारीपन उत्पन्न करती है। गर्म तथा दाहक होने के वजह काया को सुखाती है एवं यह वीर्यशामक भी है। सेम शरीर के अंदरूनी विष का शमन करने में सहायक है। इसके औषधिय प्रयोग निम्न हैं -


* सेम के पत्तों को दाद पर लगाया जाए तो वह ठीक हो जाते हैं।


* दमा एवं गले की खराबी से खांसी आने पर सेम अथिक खानी चाहिए।


* मधुमेह के मरीजों को सेम का रस पीना चाहिए और इसकी सब्जी खानी चाहिए।


* सेम में बगल (कांख) दुर्गंध को समाप्त करने का अद्भुत गुण पाया जाता है। सेम के पत्तों या फलियों को पीसकर 8-10 दिनों तक बगल में रोजाना लगाते रहें, इससे बगल दुर्गंध की व्याधि नष्ट हो जाती है।