श्रीकृष्ण काल्पनिक नहीं ऐतिहासिक पुरुष हैं

श्रीकृष्ण काल्पनिक क्या गीता को हमारे देश में आधिकाधिक रूप से राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जा सकता है ? हम गीता यो पढ़ें ? क्या योगीराज श्रीकृष्ण का हमारी संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण स्थान है कि उनका आदर्श हम सबके लिए अनुकरणीय है ? क्या वर्तमान समय में उनके जीवन की विद्वता, वीरता, कूटनीति, योगी सदृश उज्जवल, निर्मल एवं प्रेरणादायक पक्ष को उपेक्षित करना उचित होगा? क्या कृष्ण हमारे इतिहास के अभिन्न अंग हैं अथवा मात्र आस्था के प्रतीक या काल्पनिक और आलंकारिक चरित्र या किम्वन्दन्ती के हिस्से रहे हैं ? इस तरह के संशय को बढ़ावा देना भी एक ऐतिहासिक युगपुरुष की अवमानना और अपने इतिहास को प्रदूषित करने की प्रवृत्ति कही जा सकती है। आज की नई खोजों व साक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में क्या यह माना जाए कि कुरुक्षेत्र का युद्ध 3067 ई० पू० में हुआ था जब कृष्ण की आयु 55 वर्ष थी अथवा वह तिथि मात्र अनुमानित है कालक्रमों के अनुकूल व तथ्यात्मक नहीं? क्या पांचवी.संदी ई०पू० के महान गणितज्ञ आर्य भट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध की तिथि लगभग 3100 वर्ष ई०पू० की थी? डा० वी०पी० वर्लक ने ज्योतिष व खगोलशास्त्रीय अनुसंधान के आधार पर महाभारत युद्ध का प्रारम्भ 16 अक्टबर 5561 ई०ए० में हआ माना था। इस तरह के प्रश्नों के उत्तर आज निश्चित रूप से विज्ञान, खगोल शास्त्री की अनेक शाखाओं एवं नक्षत्रों की गति एवं स्थिति के वैज्ञानिक अध ययन द्वारा दिए जा रहे हैं। इस ऐतिहासिकता और वैचारिक व्यापकता के आधार पर ही कुछ दिनों पहले कदाचित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश ने गीता को एक राष्ट्रीय ग्रंथ की मान्यता देने की अनुशंसा की थी। इसी तरह हाल में इंग्लैण्ड में आणविक औषधि के क्षेत्र में कार्यरत डाक्टर मनीष पण्डित ने अपने शोध काल्पनिक नहीं ऐतिहासिक के आधार पर कहा कि कृष्ण किसी दन्तकक्षा के नरयक नहीं थे बल्कि उनका अस्तित्व अभिलेखित किया जा सकता है और इस विषय पर एक वृत्त चित्र भी बनाया है जिसका शीर्षक है “कृष्णः इतिहास अथवा मिथक'। पुरातात्विक, भाषायी और खगोल शास्त्रीय साक्ष्यों के आधार पर उन्होंने अपने निष्कर्षों को वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करते हुए अन्य विद्वानों के अध्ययचनों का भी सहारा लिया है जिनमें प्रो० सी०वी० वैद्य, प्रो आप्टे और श्री कोटा वेंकटाचलन प्रमुख हैं। मजे की बात यह है कि ऐसे शिलालेख भी मिले हैं जिनमें द्वापर के अन्त, कलियुग के प्रारंभ, सन्धि काल और तत्कालीन राजवंशों के कालक्रमों का भी उल्लेख है। इनमें चालुक्य सम्राटा पुलकेशिन के ऐहोत स्थित मन्दिर का शिलालेख, देव सेना का हिसे बोराला शिलालेख और यहाँ एक प्रसिद्ध ग्रीक राजदूत गेगस्थनीज का यह शिलोख भी सम्मिलित है जिसमें कहा गया है कि कृष्ण एवं चंद्रगुप्त मौर्य के बीच 138 पीढ़ियाँ बीत चुकी थी। इसी तरह ग्रीक यात्री प्लिनी के अनुसार बैकस और सिकन्दर के बीच के अन्तराल में 154 पीढ़ियाँ बीत चुकी थी। वह बैकस वही बकासुर था जिसे भीमसेन ने मारा था और यह काल लगभग 6771 ई०पू० वर्ष का आता हैं। डा0 वृर्तक के अनुसार इस प्रकार महाभारत का समय 5000 ई०पू० से 6000 ई०पू० तक का आता हैं जहाँ तक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैज्ञानिक रूप से तिथि निर्णय का प्रश्न है। प्रसिद्ध विद्वसपन जी०एचत्र सभ्यत आयंगर एवं जी०एस० शेक्षागिरी कृष्ण जन्म की तिथ 27 जुलाई 3112 ई०पू० मानते हैं जिसकी विस्तृत गणना उनके शोध पत्रों में अंकित है। डा० मनीष पण्डित ने हाल Mr के एक वक्तव्य में स्वय 2004 एव VARANA. 2005 में डा० नरहरि आचार्य नामक मेम्फिस विश्वविद्यालय, टेनेसी के भौतिकी के व्याख्याता का शोध पर हर्षमिश्रित विस्मय प्रकट किया है। खगोल शास्त्रीय अध्ययन के आधार पर उन्होंने महाभारत युद्ध की सही काल गणना करने का दावा किया है। इस शोध को आगे बढ़ाते हुए स्वयं डा० पण्डित ने अपने प्लेनेटेरियम साफ्टवेयर' पर इसे सत्यापित किया। वे स्वयं कहते हैं कि उनके मत में आज जो कुछ भी प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा हैं व सरासर झूठ है। यह भी कहना कि प्राचीन भारत में लोग कालक्रमों के बारे में लापरवाह थे यह भी पूर्णरूप से असल है। साफ है कि मार्क्सवादी इतिहास लेखन तों पर नहीं, राजनीतिक के तहत निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए वामपंथी इतिहासकार रोमिना थापर का कहना है कि भारतीयों में इतिहासबोध नहीं था, वे दन्तकथाओं को ऐतिहासिक जामा पहनाने में सम्पूर्ण थे, वह पूरा का पूरा कालखण्ड जिसे हिन्दू युग कहा जाता है महत्वहीन थापुणे में जन्मे डा० पण्डित मानते हैं कि महाभारत का युद्ध 3067 ई०पू० में हुआ था और उनकी गणना के अनुसार कृष्ण का जन्म 3112 ई०पू० में हुआ था और कुरूक्षेत्र के उस युद्ध के समय में 54-55 वर्ष के रहे होंगे। पण्डित श्रीराम की ऐतिहासिकता व त्रेतायुग के कालावधि पर भी विस्तृत शोध कर रहे हैं और उस पर भी एक वृत्त चित्र बना सकते है।