श्वास रोग और उसका उपचार

श्वांस रोग में आदमी पूरी तरह असहज होकर जीवन काटता है। जब यह रोग हो जाता है तो जाने का नाम नहीं लेता। मनुष्य को पूरी तरह बेकार कर देता है। इसका समय पर तथा निर्धारित उपचार जरूरी है, अन्यथा यह भयंकर भी हो सकता है।


• सोंठ श्वांस रोग में बहुत उपकारी है। सोंठ का काढ़ा बना लें। इसमें मीठे के लिए शहद डालें। रोगी को पिलायें। बड़ा लाभ होगा।


* श्वांस उखड़ जाये तो लहसुन का रस निकालें। उसे आंच पर जरा गुनगुना करें। रोगी को पिलायें। काफी फायदा होगा।


* यदि कोई श्वास रोग से पीड़ित चल रहा हो तो एक तोला गुड़ तथा एक तोला सरसों का तेल लेकर अच्छी तरह मिला लें। उस गुड़ को पहले कूट लें तभी सरसों के तेल में एक सार हो पाएगा। प्रातः खाली पेट रोगी उसे खा ले। बिना नागा 30 दिनों तक उसे खाने से रोग की संभावना समाप्त हो जाती है।


• खांसी हो, दमा हो, श्वांस ठीक न चलता हो तो पेठे की जड़ लें। उसे कूट कर चूर्ण बनाएं। यह चूर्ण एक छोटे चम्मच की मात्रा में सुबह तथा शाम को खायें। बहुत आराम पायेंगे।


*श्वांस रोग ठीक हो जाए इसके लिए एक सरल उपाय- पीपल के सूखे फल लें। इन्हें क्रूट पीस कर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को एक-एक चम्मच प्रातः व सायं खाएं। दो सप्ताह में ही आराम मिल जाएगा।


* इस रोग का रोगी यदि छाती पर तारपीन के तेल से मालिश करेंतो उसे काफी आराम मिलेगा। मगर यह सर्दी में ही संभव है।


*जिसे श्वांस रोग काफी रहता हो तो वह हींग दो रत्ती तथा कपूर भी 2 रत्ती मिलाकर गोलियां बनाये। हर एक घंटे बाद एक-एक रोगी खाता रहे। इससे वेग भी कम होगा, रोग भी ठीक होगा।


*श्वांस रोग से छुटकारा पाने के लिए इसबगोल की भूसी प्रातः तथा सायं लगातार 42 दिनों तक खाते रहने से रोग की सम्भावना समाप्त हो जाती है।