सूर्य का प्रकाश हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना हम एक स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। सूर्य की किरणों से हमें अनेक तरह का स्वास्थ्य लाभ मिलता है। प्रातःकाल सूर्य के प्रतिविम्बों को तालाब व नदी में देखना लाभदायक माना गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे नेत्र को मोतियाबिन्द के रोग से बचाया जा सकता है। भारतीय ग्रंथों में इसके लिये सूर्य जल चढ़ाने का विधान आदिकाल से चला आ रहा है। सूर्योदय के कुछ समय बाद एक कलश में पानी भरकर सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं। कलश की स्थिति छांती के मध्य होनी चाहिए। धीरे-धीरे कलश से जल की धारा छोड़ने की शुरूआत करनी |चाहिए। इस दौरान कलश से गिरते हुए पानी के बिन्दुओं पर दृष्टिपात करते हुए आप सूर्य के प्रतिबिम्ब को ध्यानपूर्वक देखने पर उससे सात रंगों का वलय दिखाई देगा। कलश से निकल रहे पानी की धारा बर्हिगोल होने के कारण सूर्य को कलश से पानी देना उचित माना गया है। जल देने से पात्र का किनारा गोल के कारण सूर्य की किरणों को बर्दाश्त नहीं कर सकती है। चमकदार धातुओं एल्युमिनियम, चांदी के बजाय तांबा, पीतल के कलश से गिरते पानी की धारा में सूर्य की किरणों के सातों रंग अधिक साफ दिखाई देते हैं। इस प्रकार तेजवर्धक और आंखों को लाभ प्रदान करने वाले शीतल और सौम्य किरण का सेवन करने के लिये महर्षियों ने यह एक सरल क्रम प्रदान किया है।
सूर्य को क्यों चढ़ाते हैं जल?