तेजपत्ते से रोग दूर करें

तेजपत्ता अत्यंत गुणकारी है। यह हल्का, वायु और कफनाशक, अग्निनाशक, अग्नि प्रदीपक, स्वादिष्ट, रुचिकर तथा सुगंधयुक्त होता है। यह पित्त को शांत करता है और मंद बुखार को मिटाता है।


सिरदर्द-


यदि गर्मी या ठंड की वजह से सिरदर्द हो रहा हो, तो 2-3 तेजपत्ते और उसके एक-दो डंठलों को जल में पीसकर हल्का गर्म कर लें तथा सिर पर मोटा लेप करें। एक बार में दर्द कम न हो तो दुबारा लेप करें, इससे सिरदर्द में अवश्य लाभ होता है।


जुकाम -


सर्दी-जुकाम में छींक आती हो, नाक बहती हो या सूखे जुकाम में जलन, सिर में भारीपन, जीभ बेस्वाद महसूस होता हो तो सुबह, दोपहर, शाम और सोते समय सिर्फ तेजपत्ते की चाय पीने से लाभ होता है।


रक्तपित्त-


पेशाब के रास्ते से खून गिरने को रक्तपित्त की बीमारी कहते हैं। इस रोग में बासी घड़े के जल के साथ तेजपत्ते का शर्बत बनाकर 4-4 घंटे पर सेवन करना चाहिए। इससे रक्तपित्त रोग का शमन होता है।