आज हर किसी के घर में कोई न कोई समस्या बनी ही रहती है। लोग चाहे कितना भी खुश क्यों ना रहना चाहें। वह किसी अनहोनी से परेशान रहते ही हैं। इसका कारण यह भी हो सकता है कि हम वास्तु से अनजान हों। क्योंकि अक्सर हम अपनी खुशी से वास्तु और भगवान को भूल जाते हैं। हालांकि सभी के घर में पूजा घर जरूर होता है। लेकिन कई लोग बिना सोचे समझे घर में पूजा घर का निर्माण करवा लेते हैं और कई लोग वास्तु को देख कर इसका निर्माण करवाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के शुरूआती दरवाजे से लेकर बालकनी तक प्रयोग किया जाता है। यहां तक कि लोग अपने घर को सजाते भी वास्तु को ध्यान करें में रख कर ही है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर नहीं भी बना है तो भी आप इसके अनुसार अपना पूजा घर बनवा सकते हैं।
हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की दिशा, उसकी जगह, किस धातु से बना है मंदिर आदि.. और भी कुछ नियम अहम् होते हैं। तो आइये जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिये आपका पूजा घर। पूर्व, उत्तर और पूर्वोत्तर की दिशा सबसे अच्छी होती है पूजा घर बनाने के लिये। अगर आपका घर तीन तल्ले का है तो अच्छा होगा कि आप अपना पूजा घर नीचे वाले फ्लोर पर ही बनवाइए। पूजा घर के सामने, बगल, ऊपर या नीचे टॉयलेट और किचन नहीं होना चाहिये।